स्पाइनल ट्यूमर
मस्तिष्क के ट्यूमर और स्पाइनल ट्यूमर को समझना
मस्तिष्क के और रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर में कपाल या अस्थिमय मेरु दंड के अंदर ऊतकों की असामान्य वृद्धि होती है। यदि वृद्धिकारी कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं से मिलती-जुलती हैं, धीमी गति से बढ़ती हैं, और एक स्थान पर सीमित हैं तो ट्यूमर को सुदम्य (गैर-कैंसरकारी) कहा जाता है। यदि कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं से अलग हैं, तेज़ी से बढ़ती हैं, और आसानी से दूसरे स्थानों तक फैल जाती हैं तो ऐसे ट्यूमर को दुर्दम्य (कैंसरकारी) ट्यूमर कहा जाता है।
चूंकि केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम, CNS) ठोस, अस्थिमय स्थानों (कपाल और मेरु दंड) के अंदर स्थित होता है, अतः किसी भी असामान्य वृद्धि से संवेदनशील तंत्रिका ऊतकों पर दबाव पड़ सकता है और उनकी कार्यक्षमता कमज़ोर पड़ सकती है। जहां एक ओर शरीर के बाकी स्थानों में स्थित दुर्दम्य कोशिकाएं मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर का आसानी से बीजारोपण कर सकती हैं, वहीं दूसरी ओर CNS के दुर्दम्य ट्यूमर विरले ही शरीर के अन्य भागों तक फैलते हैं।
रीढ़ की हड्डी के अधिकांश कैंसर मेटास्टेटिक होते हैं, यानि वे विभिन्न प्रकार के प्राथमिक (मूल) कैंसरों से उत्पन्न हुए होते हैं। इन मूल कैंसरों में फेफड़े, स्तन, पौरुष ग्रंथि, सिर व गर्दन, महिला प्रजनन तंत्र, पेट व आंत, थायरॉइड के कैंसर, मेलानोमा (त्वचा कैंसर), और गुर्दा कोशिकाओं का कैंसर शामिल हैं।
जब मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी के अंदर नए ट्यूमर उत्पन्न होने लगते हैं तो उन्हें प्राथमिक ट्यूमर कहा जाता है। प्राथमिक CNS ट्यूमर विरले ही तंत्रिका कोशिकाओं से उत्पन्न होते हैं, क्योंकि जैसे ही तंत्रिका कोशिकाएं परिपक्व हो जाती हैं, वे विभाजित और बहुगुणित होना रोक देती हैं। बल्कि, ऐसे अधिकांश ट्यूमर तंत्रिका कोशिकाओं के इर्द-गिर्द मौजूद सहायक कोशिकाओं में अनियंत्रित वृद्धि से उत्पन्न होते हैं।
प्राथमिक CNS ट्यूमर – जैसे ग्लायोमा और मेनिंगियोमा – को उनका नाम उनकी निर्माता कोशिकाओं के प्रकार, उनके स्थान, या दोनों के आधार पर मिलता है।
कारण
मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के अधिकांश प्राथमिक ट्यूमर का कारण अभी-भी रहस्य बना हुआ है। वैज्ञानिक ठीक-ठीक नहीं जानते कि तंत्रिका तंत्र की कोशिकाएं या शरीर में अन्यत्र उपस्थित कोशिकाएं क्यों और कैसे अपनी मूल पहचान खो देती हैं और अनियंत्रित ढंग से बढ़ने लगती हैं।
कुछ संभावित कारणों, जिनकी जांच की जा रही है, में शामिल हैं वायरस, दोषपूर्ण जीन, और रसायन। मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर न तो संक्रामक होते हैं, और न ही इस समय उनकी रोकथाम संभव है।
रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर, मस्तिष्क के ट्यूमर की तुलना में कम आम होते हैं।
हर वर्ष लगभग 10,000 अमेरिकियों में रीढ़ की हड्डी के प्राथमिक या मेटास्टेटिक ट्यूमर विकसित हो जाते हैं। हालांकि रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर सभी आुय के लोगों को प्रभावित करते हैं, पर वे युवाओं और मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में सबसे आम होते हैं।
हर वर्ष लगभग 40,000 अमेरिकी मस्तिष्क ट्यूमर से प्रभावित होते हैं। इनमें से लगभग आधे ट्यूमर प्राथमिक होते हैं और बाकी के मेटास्टेटिक।
लक्षण
मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर कई विविध लक्षण उत्पन्न करते हैं, जो सामान्यतः धीरे-धीरे बढ़ते हैं और समय के साथ बदतर होते जाते हैं।
मस्तिष्क ट्यूमर के कुछ अधिक आम लक्षण इस प्रकार हैं:
- सिरदर्द
- दौरे, यानि मस्तिष्क की कोशिकाओं में विद्युत के सामान्य प्रवाह में बाधा, जिससे दौरे पड़ सकते हैं, बेहोशी, या मूत्राशय पर नियंत्रण न रहना
- उबकाइयां और उलटियां
- देखने या सुनने से संबंधित समस्याएं
कपाल के अंदर का दबाव बढ़ने से आंखों को जाने वाले रक्त का प्रवाह भी घट सकता है और दृष्टि तंत्रिका में सूजन शुरू हो सकती है, जिससे धुंधली दृष्टि, दोहरी दृष्टि, या दृष्टि की आंशिक हानि जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
CNS ट्यूमर के अन्य लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं: व्यवहार और संज्ञान से संबंधित लक्षण, गतिक या संतुलन संबंधी समस्याएं, दर्द, संवेदना संबंधी बदलाव जैसे सुन्नपन, और तापमान के प्रति त्वचा की संवेदनशीलता में कमी।
पहचान और उपचार
विशेष इमेज़िंग तकनीकों, विशेष रूप से कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CT) और मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेज़िंग (MRI) ने CNS ट्यूमर की पहचान को पहले से कहीं बेहतर बना दिया है। कई मामलों में ये स्कैन आधे इंच से भी छोटे ट्यूमर की उपस्थिति का पता लगा सकते हैं।
तीन सबसे अधिक प्रयोग होने वाले उपचार हैं सर्जरी, विकिरण (रेडिएशन), और कीमोथेरेपी। जब कोई ट्यूमर रीढ़ की हड्डी या उसके इर्द-गिर्द मौजूद संरचनाओं को दबाता है, तो जब तक ट्यूमर हटा नहीं दिया जाता तब तक सूजन घटाने और तंत्रिका कार्यक्षमता बचाए रखने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड दिए जा सकते हैं।
जिन ट्यूमर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है उनके उपचार का पहला कदम होता है अधिकतम संभव ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी करना – बशर्ते तंत्रिकीय क्षति का जोख़िम बहुत कम हो। भाग्य से, तंत्रिका-सर्जरी के क्षेत्र में हुई उन्नतियों से चिकित्सकों के लिए ऐसे ट्यूमर तक पहुंचना संभव हो गया है जिन्हें पहले पहुंच से बाहर माना जाता था।
चिकित्सक ऐसे CNS ट्यूमर का उपचार विकिरण (रेडिएशन) और/या कीमोथेरेपी से करते हैं जो सर्वाधिक दुर्दम्य हैं, पहुंच से बाहर हैं, या जिनका ऑपरेशन नहीं किया जा सकता है। विकिरण चिकित्सा में ट्यूमर कोशिकाओं पर ऊर्जा के घातक पुंजों की वर्षा की जाती है। कीमोथेरेपी में ट्यूमर को मारने वाली दवाओं का उपयोग होता है जो मुंह से ली जाती हैं या रक्तधारा में इंजेक्शन द्वारा दी जाती हैं। चिकित्सक कीमोथेरेपी के लिए प्रायः कई दवाएं एक साथ प्रयोग करते हैं।
विकिरण चिकित्सका का समग्र परिणाम हमेशा अच्छा नहीं होता है। विकिरण रीढ़ की हड्डी के मायलिन को क्षतिग्रस्त कर सकता है, जिससे लकवा हो सकता है। शोधकर्ता विकिरण से सही निशाना लगाने या उसकी प्रभावशीलता बढ़ाने के बेहतर तरीके ढूंढ रहे हैं; संभवतः ट्यूमर ऊतक को अधिक संवेदनशील बनाकर ऐसा किया जा सकता है।
शोधकर्ता आस-पास के सामान्य ऊतकों को बख़्शते हुए रेडियोथेरेपी (विकिरण चिकित्सा) को ट्यूमर तक पहुंचाने के उपयुक्ततम तरीके के रूप में ब्रैकीथेरेपी (छोटी-छोटी रेडियोधर्मी गोलियां सीधे ट्यूमर में प्रत्यारोपित कर दी जाती हैं) का अध्ययन कर रहे हैं।
ट्यूमर के अंदर की कुछ कोशिकाएं विकिरण के प्रति काफी प्रतिरोधी होती हैं। वैज्ञानिकों को आशा है कि वे जीन चिकित्सा पद्धति का उपयोग करते हुए इन कोशिकाओं में एक “आत्मघाती” जीन, जो ट्यूमर कोशिकाओं को कुछ दवाओं के प्रति संवेदनशील बना दे या कैंसरकारी कोशिकाओं को स्वयं को नष्ट करने के लिए प्रोग्राम कर दे, घुसाकर इन कोशिकाओं को मार सकते हैं।
रक्त वाहिकाओं के निर्माण (एंजियोजेनेसिस) को अवरुद्ध करना विभिन्न कैंसरों के उपचार का एक बेहद आशाजनक साधन है। चूंकि मस्तिष्क के ट्यूमर में एंजियोजेनेसिस, बाकी सारे कैंसरों की तुलना में सबसे अधिक होती है, अतः उनकी रक्तापूर्ति रोकना विशेष रूप से प्रभावी सिद्ध हो सकता है।
गामा नाइफ़ (चाकू) एक अपेक्षाकृत नया साधन है जिसमें विकिरण ऊर्जा के एक सटीक रूप से केंद्रित पुंज का उपयोग करके लक्ष्य पर विकिरण की एक एकल ख़ुराक पहुंचाई जाती है। गामा नाइफ़ के लिए सर्जरी द्वारा चीरा लगाने की आवश्यकता नहीं होती है। चिकित्सकों ने यह पाया है कि इससे उन्हें ऐसे कुछ छोटे-छोटे ट्यूमर तक पहुंचने और उनका उपचार करने में मदद मिल सकती है जो सर्जरी की पहुंच से बाहर हैं।
हालांकि रीढ़ की हड्डी के अधिकांश प्राथमिक ट्यूमर प्राणघातक नहीं होते हैं, पर वे उल्लेखनीय स्तर की अशक्तता का कारण बन सकते हैं। पुनर्सुधार के लक्ष्यों में सचलता, स्वयं की देखभाल, और दर्द प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यात्मक सुधार शामिल होते हैं।
संसाधन
यदि आप मस्तिष्क के ट्यूमर और रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के बारे में और जानकारी की तलाश में हैं या आपको कोई विशेष प्रश्न पूछना है, तो हमारे जानकारी विशेषज्ञ सप्ताह के व्यावसायिक कार्यदिवसों पर सोमवार से शुक्रवार, ईटी समय सुबह 7:00 बजे से रात 12:00 बजे (मध्यरात्रि) तक टोल-फ़्री नंबर 800-539-7309 पर उपलब्ध हैं।