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नैदानिक परीक्षण क्या होते हैं?

नैदानिक परीक्षण क्या होते हैं?

नैदानिक परीक्षण या क्लीनिकल ट्रायल, मानव स्वयंसेवियों पर किए जाने वाले प्रयोग होते हैं जिनमें दवाओं या नई सर्जिकल कार्यविधियों की मदद से रोगों की रोकथाम करने, उनका पता लगाने, या उपचार करने के तरीकों पर नज़र डाली जाती है। नैदानिक परीक्षणों का लक्ष्य यह पता लगाना होता है कि खोजा गया नया उपचार सुरक्षित है या नहीं, और वह कार्य करता है या नहीं। कठोर नैदानिक परीक्षण में सुरक्षा और प्रभाविकता दिखाए बिना किसी भी नई दवा या उपचार को मनुष्यों में प्रयोग के लिए स्वीकृति नहीं मिलती है।

क्लीनिकल अध्ययन का विचार प्रायः किसी प्रयोगशाला में जन्मता है। जब शोधकर्ता पशु अध्ययनों में नई चिकित्साओं या कार्यविधियों को परख लेते हैं, तो उसके बाद सर्वाधिक आशाजनक उपचारों को नैदानिक परीक्षण के माध्यम से मनुष्यों पर परखा जाता है। परीक्षण के दौरान प्रायोगिक उपचार, उसके जोख़िमों, और उसकी प्रभावशीलता के बारे में काफ़ी कुछ जानने को मिलता है।

क्लीनिकल शोध कुछ विशिष्ट प्रोटोकॉल्स के अनुसार संचालित होते हैं, जिन्हें प्रतिभागियों के स्वास्थ्य की रक्षा करने और कुछ विशिष्ट शोध प्रश्नों के उत्तर पाने की दृष्टि से ध्यानपूर्वक तैयार किया गया होता है। प्रोटोकॉल में निम्नलिखित का वर्णन होता है:

  • कौन परीक्षण में भाग लेने के लिए पात्र है
  • अध्ययन की अवधि क्या होगी और क्या-क्या जानकारी एकत्र होगी
  • परीक्षण का उद्देश्य, डिज़ाइन, पद्धति, सांख्यिकीय विचार, एवं संगठन

क्लीनिकल अध्ययन का नेतृत्व एक प्रधान अन्वेषक (प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, PI) करता है जो प्रायः एक चिकित्सक होता है। शोध टीम नियमित रूप से प्रत्येक प्रतिभागी के स्वास्थ्य की निगरानी करके अध्ययन के सुरक्षित एवं प्रभावी होने का निर्धारण करती है।

नैदानिक परीक्षण के चरण क्या होते हैं?

नैदानिक परीक्षण “चरणों” में संचालित होते हैं। प्रत्येक चरण से शोधकर्ताओं को अलग-अलग प्रश्नों के उत्तर जानने में मदद मिलती है, और अमेरिकी खाद्य व औषधि प्रशासन (यूएस फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, FDA) से स्वीकृति पाने हेतु पर्याप्त साक्ष्य प्रदान करने के लिए ये अत्यावश्यक होते हैं। उपचार या चिकित्सा को जनता हेतु उपलब्ध कराने के लिए, उसका तीन चरणों से गुजरना आवश्यक होता है। यदि FDA स्वीकृति दे दे, तो शोधकर्ता सुरक्षा एवं प्रभावशीलता के सतत मूल्यांकन के लिए चरण 4 आरंभ करते हैं।

चरण 1: शोधकर्ता पहली बार लोगों के एक छोटे से समूह (20 से 80 लोगों) में प्रायोगिक दवा या उपचार का परीक्षण करते हैं। इसका उद्देश्य दवा या उपचार के सुरक्षित होने का मूल्यांकन करना एवं उसके साइड इफ़ेक्ट्स की पहचान करना होता है। इस समय प्रभाविकता अपेक्षित नहीं होती है।

चरण 2: प्रायोगिक दवा या उपचार लोगों के एक अपेक्षाकृत बड़े समूह (100 से 300 लोगों) में प्रयोग किया जाता है जिससे उसकी प्रभावशीलता निर्धारित की जाती है तथा उसके सुरक्षित होने का और मूल्यांकन किया जाता है।

चरण 3: प्रायोगिक दवा या उपचार की प्रभावशीलता की पुष्टि करने और उसमें बारीक फेर-बदल करने, साइड इफ़ेक्ट्स की निगरानी करने, मानक या समतुल्य उपचारों से उसकी तुलना करने, और प्रायोगिक दवा या उपचार का सुरक्षित ढंग से उपयोग संभव बनाने वाली जानकारी एकत्र करने के लिए उक्त प्रायोगिक दवा या उपचार का उपयोग लोगों के बड़े समूहों (1,000 से 3,000 लोगों) में किया जाता है।

चरण 4: FDA द्वारा दवा को स्वीकृति मिल जाने और जनता के लिए वह दवा उपलब्ध हो जाने के बाद, शोधकर्ता उसके सुरक्षित होने, उसके जोख़िमों, लाभों, और उपयुक्ततम उपयोग पर नज़र रखते हैं।

क्या मेरु रज्जु की चोट/क्षति के नैदानिक परीक्षण चल रहे हैं?

शोध से उपयोग के पायदान पर आते हुए हम इस क्षेत्र के एक नए दौर में प्रवेश कर चुके हैं, और इस समय कई बेहद आशाजनक उपचारी पद्धतियों के लिए नैदानिक परीक्षण आयोजित किए जा रहे हैं या उनकी योजनाएं बनाई जा रही हैं।

इस समय अमेरिका में और दुनिया भर में मेरु रज्जु की चोट/क्षति के उपचारों के सामर्थ्य को परखने वाले नैदानिक परीक्षण चल रहे हैं एवं कई अन्य परीक्षण योजना के चरण में हैं। ये अध्ययन ऐसे कई परिणामों का मूल्यांकन कर रहे हैं जो SCI समुदाय के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसे सचलता में वृद्धि और स्वायत्त स्वास्थ्य-लाभ।

स्कोप (SCOPE) = स्पाइनल कॉर्ड आउटकम्स पार्टनरशिप एंडेवर (मेरु रज्जु परिणाम साझेदारी प्रयास)

यह एक अकादमिक/उद्योग साझेदारी है जिसका लक्ष्य ऐसे नैदानिक परीक्षणों और नैदानिक अभ्यास प्रोटोकॉल्स का विकास करना है जो मेरु रज्जु की चोट की उपचारी हस्तक्षेपों का सही प्रकार से प्रमाणन करते हों, और जिसके फलस्वरूप बेहतर सर्वोत्तम कार्यप्रथाएं अपनाई जाएं। स्कोप (SCOPE) मेरु रज्जु के वर्तमान नैदानिक परीक्षणों के बारे में और जानें।

क्या किसी परीक्षण में भाग लेने के लिए भुगतान करना पड़ता है? क्या मुझे भाग लेने के लिए भुगतान मिल सकता है?

प्रतिभागियों को कोई व्यय नहीं करना होता है। भाग लेने के लिए कोई भी भुगतान या स्टिपेंड भी नहीं मिलता है क्योंकि यदि भुगतान किया जाए तो इससे उपचार के प्रभाव के बारे में प्रतिभागी का विवेक प्रभावित हो सकता है। कुछ यात्रा व्ययों या प्रासंगिक व्ययों की प्रतिपूर्ति दी जा सकती है, पर वह केस-दर-केस आधार पर होती है।

परीक्षणों की देखरेख कैसे की जाती है?

नियामक प्राधिकरण नैदानिक परीक्षणों की नज़दीकी देखरेख करते हैं। अमेरिका में होने वाले अधिकांश नैदानिक परीक्षणों को एक संस्थागत समीक्षा बोर्ड (इंस्टीट्यूशनल रीव्यू बोर्ड, IRB) स्वीकृति देता है और उनकी निगरानी करता है। IRB एक स्वतंत्र समिति होती है जो प्रायः उपचारी अस्पताल में स्थित होती है; इसमें चिकित्सक, सांख्यिकीविद और समुदाय के कुछ सदस्य होते हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि नैदानिक परीक्षण नैतिक हों और प्रतिभागियों के अधिकारों की सुरक्षा हो।

सूचित सहमति क्या होती है?

सूचित सहमति एक प्रक्रिया होती है जिसमें लोगों को वे तथ्य प्रदान किए जाते हैं जो उन्हें भाग लेने का निर्णय लेने से पहले नैदानिक परीक्षण के बारे में जानने की आवश्यकता होती है।

भाग लेने या नहीं लेने का निर्णय करने में व्यक्ति की सहायता करने के लिए शोध टीम के सदस्य अध्ययन का विवरण समझाते हैं और एक सूचित सहमति दस्तावेज़ प्रदान करते हैं जिसमें परीक्षण के उद्देश्य, अवधि, आवश्यक कार्यविधियों, और अतिरिक्त जानकारी के लिए संपर्क व्यक्ति का वर्णन होता है। सूचित सहमति दस्तावेज़ में जोख़िमों और संभावित लाभों का भी वर्णन होता है।

उसके बाद प्रतिभागी तय करता है कि दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करना है या नहीं। सूचित सहमति कोई अनुबंध नहीं है। स्वयंसेवी किसी भी समय अध्ययन से अलग होने, या कुछ उपचारों या परीक्षणों से मना करने के लिए स्वतंत्र होते हैं।

लोग नैदानिक परीक्षणों में भाग क्यों लेते हैं?

लोगों द्वारा नैदानिक परीक्षण में भाग लेने के पीछे कई कारण होते हैं। लोग नवीनतम उपचार पाने और नैदानिक परीक्षण की टीम से अतिरिक्त देखभाल पाने के लिए परीक्षणों में भाग लेते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो विज्ञान की प्रगति में सहायता देना चाहते हैं, क्योंकि स्वयंसेवियों की कमी के कारण बहुत से अध्ययनों में विलंब हो जाता है, या वे शुरुआती चरणों से आगे बढ़ ही नहीं पाते हैं। कारण चाहे जो भी हो, अध्ययन में भाग लेना व्यक्ति का व्यक्तिगत निर्णय है, और नैदानिक परीक्षण की प्रक्रिया को समझना महत्वपूर्ण होता है, ताकि आप एक सूचित निर्णय ले सकें।

कुल मिलाकर, नैदानिक परीक्षण बहुत से लोगों के लिए आशा की किरण होते हैं, और दूसरों के लिए बेहतर उपचार ढूंढ़ने में शोधकर्ताओं की सहायता करते हैं।

नैदानिक परीक्षणों को आगे बढ़ाने में NACTN की क्या भूमिका है?

SCI के मूल्यांकन और प्रबंधन में प्रशिक्षित चिकित्सीय, नर्सिंग एवं पुनर्वास कार्मिकों के साथ अस्पतालों के एक नेटवर्क के माध्यम से, नॉर्थ अमेरिकन क्लीनिकल ट्रायल्स नेटवर्क (North American Clinical Trials Network®, NACTN) यह सुनिश्चित करने का कार्य करता है कि नैदानिक परीक्षणों के संचालन का तरीका ऐसा हो जिससे रोगियों की सुरक्षा और मान्य, अर्थपूर्ण आंकड़े एकत्र करने की हमारी योग्यता, दोनों ही को अधिकतम किया जा सके।

NACTN की तीन मुख्य भूमिकाएं इस प्रकार हैं:

  • मेरु रज्जु की चोट के बाद शरीर के प्राकृतिक स्वास्थ्य-लाभ पथ को बेहतर ढंग से समझने के लिए रोगियों की चिकित्सा जानकारी को एकत्र करके एक डेटा रजिस्ट्री में दस्तावेज़ीकृत करना
  • मानकीकृत रोगी आकलन प्रोटोकॉल स्थापित एवं कार्यान्वित करना
  • मेरु रज्जु की चोटों की आशाजनक चिकित्साओं के नए परीक्षण संचालित करना

अब, जब शोधकर्ताओं को मानव परीक्षणों के लिए हरी झंडी मिलती है, तो उन्हें उक्त अध्ययनों के लिए नए सिरे से सहयोग प्रणाली बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है — NACTN ने शोध की गति बढ़ाने का स्थायी ढांचा पहले से ही बना रखा है जिसका लक्ष्य हमारे समुदाय को मेरु रज्जु की चोट के सुरक्षित और प्रभावी उपचार जल्द-से-जल्द प्रदान करना है।

स्रोत: नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ़ हेल्थ